इल्म है उसे हिबाह-ऐ-जेय्ब की उनपे याज्दानों से,
आगाही खुद्सर-ऐ-मख्बूत-ऐ-जुर-ऐ-बिस्मिल भी होता।
खुदाया तब भी परस्तिश ही करते, हम उनकी,
की मेरा जानि’ब जो कहीं मेरा कातिल भी कहीं होता
(हिबाह=gift; जेय्ब=beauty; याज्दान=God; आगाही=knowledge; खुदसर=stubborn; मख्बूत=mad; जुर= dare; बिस्मिल=lover; जानि'ब=lover;)
उनको लगता है कि काफिर शेर केहता है,
खूं-ऐ-जिगर बयां तरह और होता।
फ़िदा’ई की ये तो फितरत है,
जो तू नही, तो कोई और होता।
(फ़िदा’ई=lover)
गुरूर न कर तू अपने दिल फरेब होने का,
जो न होता आग तो बे नूर होता।
(दिल फरेब= beautiful; आग=love) ……………………….Atul
2 comments:
lajavab,bemisaal aor khoobsurat ...hamesha ki tarah...
Bas aap jaise dooston ki dua hai.... :)
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