Thursday, April 24, 2008

तसवीरें भी रूठती हैं ....

कुछ तो कशिश है की बिना तस्सवुर के उनके,

दिल दे दिया हमने, और उनको इख्त्यार भी नही।

हम तो दिल-ऐ-उम्मीद को चले हैं दफनाने,

की सुना है मुर्दों से कोई रूठा नही करते

……………Atul

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