Monday, April 28, 2008

चाह-ए-दीदार-ए-यार

बिस्मिल हो तेरे आबो दानाह में कोई और,

और तेरी जेय्ब-ऐ-यास्दां सी जिंदगानी हो।

सितारे हमें इजाज़त नही देते हिबाह होने की,

वरना फ़िदा’इ-ऐ-जुर खड़ा है अपना सर लिए।

(बिस्मिल=lover; आबो दानाह = life; ज़य्ब-ऐ-यास्दां = Godly beauty; ज़य्ब=beauty; यास्दां= God; हिबाह=gift; फ़िदा’इ = lover; जुर = dare)


देखिये या अद्ल-ऐ-यास्दां क्या फ़रमाता है,

या फ़िर किसी दीवाने का अब खब्त देखिये।

केह दोगे तो अब मर मिटेगा कोई तुमपे,

न कहो तो जूनून-ऐ-दोजहान देखिये।


(अद्ल-ऐ-यास्दां = God’s justice; खब्त =obsession)


अलाहेदा हूँ मुंकिर-ऐ-वफ़ा से मैं कब से,

हमें देखे कोई के अब एह्मक-ऐ-जिन्दाँ देखिये।

तेरे तस्सवुर को काफिर पी ली है शराब ला त^दाद,

दीदार-ऐ-यार-ऐ-अकेले की कोई चाह देखिये।


(अलाहेदा = separate; मुन्किर-ऐ-वफ़ा = one who denies loyalty; एह्मक-ऐ-जिन्दाँ = jail for mad people; एह्मक= mad; जिन्दाँ= jail)

…………………………Atul

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